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जिंदगी एक छोटी सी आशा-छुपी कितनी सारी अभिलाषा

Vikas Yadav 'UTSAH' 01 Oct 2023 कविताएँ समाजिक विकास यादव 'उत्साह' कविता हिन्दी कविता जिंदगी एक छोटी सी आशा 7252 0 Hindi :: हिंदी

जिंदगी एक छोटी सी आशा

छोटी सी एक जिंदगी है
छोटी सी जीने की आशा 
इसी छोटी सी आशा में 
छुपी कितनी सारी अभिलाषा
कौन देखा है कल का भोर 
फिर भी सोता हूं पट में लगा के डोर 
माना की दुःख के डगर में 
सुख का भी किनारा है 
आज नहीं तो कल सही 
पर जिंदगी है तो इसे भी निभाना है 
इसी कल के फिराक में 
फिर आज रात भी सो गया 
इस अविश्वास भरे दौर में 
दुख -सुख के होड़ में 
आज फिर कल्पना में खो गया
 हां.. कल्पना में
 कल्पना भी तो आशा है 
और आशा एक अभिलाषा है 
माना कि फासले बड़े हैं 
पर हम भी तो डट के खड़े हैं 
पता ना कब मिलोगे 
इस आस में पड़े हैं 
मिलता है जो अपनों से प्यार 
या हो लेखनी का दुलार 
आती है जब तुम्हें खोने की याद 
मानो सब कुछ खो देता हूं 
फिर महसूस करता हूं तुम्हें अपने पास 
जीवन लगने लगता है खास
फिर जग जाती थोड़ी सी उम्मीद,
थोड़ा सा प्यार, थोड़ा सा विश्वास, 
इस थोड़ी सी उम्मीद में 
आज को सजाता हूं 
बिखरे हुए बाग को
 पुनः हर बनाता हूं 
सिंचता हूं प्यार सी
सॅवारता हूं बाल सी 
खो न जाए ये भी पल
 दिल खोल के गुजारता हूं।

             काव्य - विकास यादव 'उत्साह'
                 (हैदरगंज,गाजीपुर,उ०प्र०)

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