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धर्मपाल सावनेर

धर्मपाल  सावनेर

धर्मपाल सावनेर

@ --34
, Madhya Pradesh

मेरे लब्जो की जुबा ना कोई मुसाफिर हूं मेरा ठीका ना कोई।। राम और रहीम को देखा है कहा में इंसा हु मेरा खुदा ना कोई।। शायर , गजल ,कविता, गीत लेखक धरम सिंग राजपूत

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My Articles

मुश्किलों की जिंदगी जी रहे है जख्म खुद के खुद ही सी रहे है कोन कहता है शराब जानलेवा है हम तो जीने के लिए ही पी रहे है।। धरम सिंग राजपू read more >>
ये विरह वेदना को अब कोन मिटाएगा अब तो ये दर्द और बड़ता चला जायेगा जीने की तमन्ना मर चुकी हो जिसकी ऐसी जिंदगी भी जीना कोन चाहेगा ।। ऐ read more >>
बेखुदी में भी तेरा खयाल नहीं जाता खयाल तेरा हो तो कुछ और खयाल नहीं आता।। धरम सिंग राजपूत 8109708044 read more >>
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