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धर्मपाल सावनेर

धर्मपाल  सावनेर

धर्मपाल सावनेर

@ --34
, Madhya Pradesh

मेरे लब्जो की जुबा ना कोई मुसाफिर हूं मेरा ठीका ना कोई।। राम और रहीम को देखा है कहा में इंसा हु मेरा खुदा ना कोई।। शायर , गजल ,कविता, गीत लेखक धरम सिंग राजपूत

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My Articles

तू नहीं तो क्या तेरा साया हर बखत मेरे साथ है नींदें मेरी चुराने में फकत तेरा ही तो हाथ है ।। एक एक पल भी चेन से नहीं गुजरता मेरा एक दिन read more >>
चमकीला आकाश है जश्न भरी रात है आज सनम तेरे हाथ में जो मेरा हाथ है साथ धडकने है धड़के साथ मन दोनों के तड़पे मेरा दिल है तुझमें तेरा दिल य read more >>
रफ्ता रफ्ता वादों से मुकर रहे वो आज कल जर्रा जर्रा टूट कर बिखर रहे हम आज कल।। हुनर ये बेवफाई का अब देखने को मिल रहा किस तरह से आदते बदल read more >>
लाखो मिले अपने देखा सारा जहां ए मां तेरे जैसा कोई ना यहा तेरे प्यार को मैं कर सकता ना बया ए मां तेरे जैसा कोई ना यहा सर्द रातों में बात read more >>
जो हाथ ना कर सके वो जुबान कर देगी लब्जो से क्तल की खबर हैरान कर देगी ।। जला रहे हो चिराग अशिकी के अपने अंदर उल्फ्ती की आग दिलो को शमशा read more >>
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