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धर्मपाल सावनेर

धर्मपाल  सावनेर

धर्मपाल सावनेर

@ --34
, Madhya Pradesh

मेरे लब्जो की जुबा ना कोई मुसाफिर हूं मेरा ठीका ना कोई।। राम और रहीम को देखा है कहा में इंसा हु मेरा खुदा ना कोई।। शायर , गजल ,कविता, गीत लेखक धरम सिंग राजपूत

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My Articles

उल्फत से बड़ी ना कोई रिश्क खामोश इश्क खामोश इश्क ।। उल्फत से बड़ी ना कोई रिश्क खामोश इश्क खामोश इश्क ।। आलम क्या है दिल के अंदर केसे read more >>
तमाम उम्र दिल ने दिलाशा रख्खा इतना किसी पे भरोशा रख्खा ।। टूट कर भी वो ख्वाबों मे यू है सजदा किया उसे खुदा सा रख्खा ।। रुसवा ना करे read more >>
होता हैं कितना असर देखता हु चलो उनसे मिलाकर नजर देखता हु।। उनकी पड़ी जो मुझपर नजर कभी इधर तो कभी उधर देखता हु।। खबर रखते है वो नज� read more >>
खुशियों भरा हर पल ना होगा गिर के ख़ुद को संभलना होगा ।। इस वक्त जो हे ये वक्त जी लो जो आज हे वो कल ना होगा ।। खुद पर खुदा पर भरोसा रखो क� read more >>
अधूरी है किताब जिंदगी बोहोत कुछ अभी तो खाली है पता नही मुकद्दर में ये क्या क्या लिखने वाली है।। हर रोज ही सफर में पत्थर देते हे ठोकरें read more >>
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