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धर्मपाल सावनेर

धर्मपाल  सावनेर

धर्मपाल सावनेर

@ --34
, Madhya Pradesh

मेरे लब्जो की जुबा ना कोई मुसाफिर हूं मेरा ठीका ना कोई।। राम और रहीम को देखा है कहा में इंसा हु मेरा खुदा ना कोई।। शायर , गजल ,कविता, गीत लेखक धरम सिंग राजपूत

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My Articles

तेरा होकर भी में तो तेरा ना हुआ जैसे सुरज के होते सवेरा ना हुआ ।। मेने ख्वाब तो देखे बोहोत से मगर कोई ख्वाब मुकम्मल मेरा ना हुआ ।। मे read more >>
जवाब भी है फिर ये सवाल क्या है खुशी तो है फिर ये मलाल क्या है ।। गुजर रही है राते करवाटो में मेरी मेरे बिस्तर से पूछो मेरा हाल क्या है । read more >>
ख्वाब कुछ इस तरह सजा रहा हु में घोर आंधि में दीपक जला रहा हु में ।। लाख मसक्कत्तो पर भी ढह जा रहा बारिश में मिट्टी का घर बना रहा हु में । read more >>
जिक्र जब भी कभी मोहब्बत का होता है हमको खयाल उस की सूरत का होता है ।। वो हसीन चेहरा संग दिल है तो क्या हुआ खूबसूरत चांद भी तो पत्थर का ह read more >>
जो कुछ मानता नहीं तुझे उसे मानने कोशिश क्यू भूल जाने वालो से फिर याद करने कि उम्मीद क्यू ।। अगर फर्क ही नहीं पड़ता जिसे तेरे आंसुओ से read more >>
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