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DINESH KUMAR KEER

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विश्वास की पक्की डोर जिसे हम प्रेम समझने की भूल कर बैठे थे दरसल वो तो किसी और के लिए महज वक्त गुजारने का जरिया भर था क्यों सही कहा ना ? read more >>
मिलो की दूरी उपस्तिथि तुम्हारी सर्वस्व तो समर्पित कर दिया है प्रेम में अब इस नश्वर तन का क्या मोल भला प्रेम में तन का मिलन तो औपचारि read more >>
हम दोनों नदियां के तीरे, मध्य हमारे अविरल धारा। अलग - अलग अपनी दुनिया पर, अनाद्यनंत रहे साथ हमारा।। -दिनेश कुमार कीर read more >>
"मैं डरता हूँ उनसे, जो चुप रहते है, बिना कुछ कहे, बहुत कुछ कह जाते है, सीमा शब्दों की होती है, मौन असीम होता है..." -दिनेश कुमार कीर read more >>
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