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संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

@ sandeep-kumar-singh
, Bihar

I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me.

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औजार को भी बना लूं अपना हिस्सा, जिसके सहारे बना दूं कोई नवीन किस्सा। जिसे सुनकर लोगों में खूब जोश जगे, फिर हर मुश्किल आसान ही आसान लगे। read more >>
#विधा:-दोहा छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" उजला तन किस काम का,काला जब हो सोच। ऐसे जन सब ही यहाँ,करते रहते नोच।। उजला तन किस काम का,जिसक read more >>
उसका आना और जाना मेरे लिए कौतूहक था, दिव्य सुन्दरी जिसे देखते ही खुशी होता था। बहुत ही रहस्यमय लग रही थी वो, पूरी शरीर में एक मादकता भर read more >>
(दोहा छंद) रोजी रोटी के लिए, परेशान हैं लोग। कुछ जन को तो बहुत है,कुछ को कुछ मत भोग।। रोजी रोटी के लिए, करना पड़ता काम। करा मेहनत से मिले read more >>

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