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संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

@ sandeep-kumar-singh
, Bihar

I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me.

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(मुक्तक छंद) किसी ने उस से किया था फरेब, उदास हो निकाल दी थी पाजेब, आया उसके लिए खुशी बनकर, मैं बन गया हूं अब उसका कालेब। संदीप कुमार सिं read more >>
(रोला छंद) लोगों में हो बात,काम वह करते बढ़िया। खुद भी करते चाह,खुशी का हो अब गछिया।। रिश्तों में हो प्यार,सदा हो जीवन सुरभित। खुशियां read more >>
(मुक्तक छंद) खिलौना जानकर दिल से वे किसी के खेलते हैं। ऊंची ख्वाब दिखाकर धरा पर पटक छोड़ देते हैं। बहाने भी बड़े_बड़े वे आजमाते हैं बेम read more >>

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