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संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

@ sandeep-kumar-singh
, Bihar

I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me.

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(दोहा छंद) पाप कर्म अब बढ़ रहे, उत्तर दायी कौन। नशा जाल में है युवा, शासन फिर भी मौन।। महंगाई नित ही बढ़े, उत्तर दायी कौन। आम लोग में आज द read more >>
(दोहा छंद) जरा जरा सी बात पर, हो जाता है खार। संयम वाणी पर रखें, फिर होता है प्यार।। जरा जरा सी बात पर, कर लें हम सब ध्यान। दे सकते हैं सीख read more >>
(शायरी) (आज फिर दिल पर किसी ने दस्तक दी है, मेरे ज़हन ने फिर न सुनने की हिदायत दी है।) आज मेरे वर्षों से उदास पड़ा दिल ने खुशियां दी है, और read more >>
(गज़ल) लोग घर के बहुत निराले हैं। सोच में ही जनाब उलझे हैं। रात जमते कहां हमारे हैं, चाहतें अब जवां मचले हैं। काश वे मित बने सदा दिल से read more >>
(दोहा छंद) अब शायद लगता नहीं, सुधरेंगें हालात। रोग नासूर बन गया, मुश्किल में है रात।। अब शायद लगता नहीं, फिर होगी वह बात। बीता हुआ दिवस read more >>
(शायरी) पग_पग पर इम्तिहान की लौ से गुजरना है, फिर भी मुस्कुराते हुए सबसे रूबरू हो रहा हूं। एतिबार कर के भी छलने वाले मिल जाते हैं, तब से read more >>

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