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Santoshi devi

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@ santoshi-devi
, Rajasthan

मैं एक कवियत्री हूँ। साहित्य में मेरी रुचि है।

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My Articles

कल्पनाओं में सफर सभी करते हैं। लेकिन मायने हकीकत के होते हैं।। बाजार में हर एक चीज बिकती हैं। मोल-भाव वहाँ जरूरत के होते हैं।। हर आद read more >>
अंतरराष्ट्रीय मातृदिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹। ---------------------------- हर मौसम में सबको,चुप्पी तेरी खलती है। घर के हर कोने में,� read more >>
ममता दुखदायी न हो। सोच पिता को अभिनय करना पड़ता, एक पाषाण हृदय अपनाना पड़ता। माता है ममता की मूरत, वही पिता सत्य की सूरत। सुंदर अहसास इ� read more >>
तुम सा बढ़कर ओर नहीं। मिलता कोई छोर नहीं।। खिलती अब जो देख सकू। आँगन तुम सी भोर नहीं।। हँसता जीवन छाँव तले। ऐसी मिलती ठौर नहीं।। खु read more >>
उभरते हैं सीरत के दाग, सब सूरत पर। पैतरे लाख आजमाएं, कुछ बदल बदल। दर्पण माफिक झलकता रूप, है शक्ल-शक्ल। गिड़गिड़ाता दिखता है झूठ, निज जर� read more >>
पिता शीर्षक-पिता जीवन भर बोझा ढोता है। अक्सर सुख से कब सोता है।। सीने में दफनाता हर गम। कभी न खुलकर वह रोता है।। हर विपदा के आगे वह read more >>
पोषी दूनी लालसा,दूनी दुख की रेख। लिखा विधाता का नही,लिखा स्वयं का लेख।। लिखा स्वयं का लेख,दोष दूजे सर मढ़ता। घड़ी-घड़ी में बैठ,टोटके मनवा read more >>
लोकतंत्र का है उत्थान। 100% जब मतदान।। लोकतंत्र की ठोस नींव। मतदाता अकेला जीव।। वोट अपना है अमूल्य। इससे बढ़ ओर न तुल्य।। सोच समझकर क read more >>
टीन टप्पर की वह बस्ती है। मौन बाँधे कोई हस्ती है। कौन पढ़ता इनकी लाचारी शाम कल के भ्रम में ढलती है।। भुखमरी की ये रोज अमावस बैठ काँधे read more >>
तुम होते हो पास मेरे, खिल उठते अहसास मेरे गूंज उठे शहनाईयां, इस अंत मन के सहरा में। उड़ने को उन्मुक्त पंछी, आतुर है नेह गहरा में। जीवन � read more >>
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