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Ujjwal Kumar

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समय का क्या सहारा कब कहा किसका बदल जाए... जो आज है यू बेघर कल कही महलों के राजा हो जाए... जो मिले है आज आम मानस की तरह वो कल के देवता हो जाए... स read more >>
कुछ भी नहीं हाथ में फिर भी, तुम क्यों अकड़ कर बैठे हो | मिलें हैं चंद लम्हें यहां पर तुमको, फिर भी क्यों अपनो से ऐठें हो | भरोसा नहीं कि क read more >>
अंधेरा मुझे फिर से बुला रहा है, मैं उससे दूर जाना चाहता हूँ... फिर क्यों सामने आ रहा है, मैंने तो रोना छोड़ दिया था... अब बड़ी मर्तबा के बाद, read more >>
रखना सीख जाती है वो हर किसी का ख्याल, जब एक बेटी बन कर बहु जाती है ससुराल, बिदाई पर उसकी सभी अपनो का होता है बुरा हाल, फिर भी देते हैं उसे read more >>
करता है यह वक्त इशारा कही दूर निकल जाए यारा। रविवार का होता है दिन न्यारा मौसम भी है,प्यारा-प्यारा । ✍उज्ज्वल कुमार read more >>
लिखते है जिन्दगी के किताब, लड़कर जीतना है, हमे खिताब। अभी लिखता हूँ मै, बीते अपने, जिसे कहती है, दुनिया सपने।। ✍उज्जवल की कलम read more >>
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