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Nanhi pari

अशोक दीप 30 Mar 2023 गीत बाल-साहित्य Best hindi poem, bal poem, poem for children, nanhi pari, bal kavita, bal sahity, hindi bal sahity 47178 0 Hindi :: हिंदी

नन्ही परी

प्रेम-अंक में लेकर चूजे 
देख  रही  है  नन्ही परी ।
कैसे इनको अरे संभालूँ 
सोच रही  है  नन्ही परी ।।

घर में छोड़ूँ डर है मुझको 
बिल्ली  चट  कर  जाएगी 
बाहर  झबरू  डॉगी  बैठा 
जान  कहाँ   बच  पाएगी 

अगर बिछौने  में  ले  बैठूँ 
मम्मा      दौड़ी   आएगी 
बंद करूँ जो  बस्ते में तो
हवा  नहीं   मिल  पाएगी 

एक सुरक्षित जगह सदन में 
खोज   रही   है  नन्ही  परी ।
कैसे   इनको  अरे   संभालूँ 
सोच  रही   है   नन्ही   परी ।

ठंड बहुत है  पहले  इनको 
कुछ  धूप  खिला  देती  हूँ 
फिर अँजुरीभर दाने देकर
जल-बूँद   पिला  देती   हूँ

आने वाली  होगी अब  तो 
अम्मा   इनकी   दबड़े   में 
रख देती  हूँ जल्दी  करके 
कौन   पड़ेगा   लफड़े   में 

कल फिर खेलूँगी इनसे मैं 
सोच  रही  है  नन्ही  परी ।
कैसे इनको  अरे  संभालूँ
सोच  रही  है  नन्ही  परी ।।
        000
अशोक दीप ✍️
   जयपुर

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