DINESH KUMAR KEER 21 Jan 2024 गीत समाजिक 4592 0 Hindi :: हिंदी
बाबुल की बुलबुल उड़ जायेगी बाबुल के आंगन मे गुड्डे - गुड़ियों से खेल खेलने वाली। बाबुल के आंगन व गुवाड़ की खुशी औरों की खुशियाँ बन जायेगी। बचपन की प्यारी सखी - सहेलियों से एक दिन दूर हो जाएगी। बाबुल की बुलबुल हैं वह एक ना एक दिन उड़ जायेगी। प्यारें से नन्हें - नन्हें कदमों में सुन्दर पायल की खनक - खनकेगीं। कोमल से पैरों को महावर के लाल रंग से सजाया जायेगा। और प्यारी सी छागल भी पहना दी जायेगी। नाजुक से करकमलों में हिना की महक महका दी जायेगी। बाबुल की बुलबुल हैं वो एक ना एक दिन उड़ जायेगी। बिछियों को पैरों की शोभा बना दी जायेगी। हाथों में रंग बिरंगी चूड़ियों की खनक खनका दी जायेगी। मांग में सिंदूर और गले में मंगल सूत्र शोभा बन जायेगा। संग जेवरों से सौलह सिंगार कर दिया जायेगा। मायके से विदा होकर वह ससुराल चली जाएगी। बाबुल की बुलबुल हैं वह एक ना एक दिन उड़ जायेगी। ना फिर कभी कोई खेल पायेगी। बाबुल की गुवाड़ी सुनी हो जायेगी। अपनी नई दुनिया की तरफ कदम बढ़ायेगी। रोते रुलाते हुए बाबुल की बुलबुल उड़ जाएगी। बुलबुल के कजरारें नयनों में काजल लगा दी जायेगी। बाबुल की बुलबुल हैं वह एक ना एक दिन उड़ जायेगी। -दिनेश कुमार कीर