Dr Satywan Saurabh 05 Apr 2023 गीत दुःखद 8709 0 Hindi :: हिंदी
क्यों नारी बेचैन ●●● नारी मूरत प्यार की, ममता का भंडार । सेवा को सुख मानती, बांटे खूब दुलार ।। ●●● अपना सब कुछ त्याग के, हरती नारी पीर । फिर क्यों आँखों में भरा, आज उसी के नीर ।। ●●● रोज कहीं पर लुट रही, अस्मत है बेहाल । खूब मना नारी दिवस, गुजर गया फिर साल ।। ●●● थानों में जब रेप हो, लूट रहे दरबार । तब ‘सौरभ’ नारी दिवस, लगता है बेकार ।। ●●● सिसक रही हैं बेटियां, ले परदे की ओट । गलती करे समाज है, मढ़ते उस पर खोट ।। ●●● नहीं सुरक्षित आबरू, क्या दिन हो क्या रात । काँप रहें हम देखकर, कैसे ये हालात ।। ●●● महक उठे कैसे भला, बेला आधी रात । मसल रहे हैवान जो, पल-पल उसका गात ।। ●●● जरा सोच कर देखिये, किसकी है ये देन । अपने ही घर में दिखे, क्यों नारी बेचैन ।। ●●● रोज कराहें घण्टियाँ, बिलखे रोज अजान । लुटती नारी द्वार पर, चुप बैठे भगवान ।। ●●● नारी तन को बेचती, ये है कैसा दौर । मूरत अब वो प्यार की, दिखती है कुछ और ।। ●●● नई सुबह से कामना, करिये बारम्बार । हर बच्ची बेख़ौफ़ हो, पाये नारी प्यार ।। ● - डॉo सत्यवान 'सौरभ'