Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

नौका पार लगाए कौन

अशोक दीप 30 Mar 2023 गीत समाजिक Bezt hindi poetry, hindi song, best hindi poems, hindi kavita, hindi sayri, social poem, poem on relaxationship 57163 0 Hindi :: हिंदी

नौका पार लगाए कौन

प्रश्न पूछते प्रश्न खड़े हैं
उत्तर  साधे  बैठे  मौन ।
भँवरों के हैं नाविक सारे
नौका पार लगाए कौन ?

पाँव  पसारे  विषबेल हँसें
अब रिश्तों की फुलवारी में
अपनापन तक पड़ा सिसकता
जीवन की उजड़ी क्यारी में

दर्द समाए कंठ सभी के
गीत खुशी के गाए कौन ?
भँवरों के हैं नाविक सारे
नौका पार लगाए कौन ?

चण्ड सदन में थाप चंग पर
है सूना आँगन झूलों का
काँटे वन में ताल ठोकते
अब हाल बुरा है फूलों का

मौन हो गई मन की मैना
राग बसंत सुनाए कौन ?
भँवरों के हैं नावे के सारे
नौका पार लगाए कौन ?

नीली पड़ गई अंबु – देही
कमलों की है रे पीड़ बड़ी
किसे पुकारें आकुल आँखें
है जलकुंभी की भीड़ बड़ी

समीर सिवार का गठबंधन
काई दूर हटाए कौन ?
भँवरों के हैं नाविक सारे
नौका पार लगाए कौन ?

धूल चाटते दीया- बाती
अँधियारों की है मौज घनी
जुगनूँ बैठे पंख समेटे
रातों की जबसे भौंह तनी

तम के हाथ मिले सूरज से
तम का मान घटाए कौन ?
भँवरों के हैं नाविक सारे
नौका पार लगाए कौन ?

सरपट दौड़े है कुटिलाई
बैसाखी थामे भोलापन
है शील काँपता दूर खड़ा
देख जगत का नंगापन

पग-पग पर विषदन्त खड़े हैं
बोलो ! प्राण बचाए कौन ?
भँवरों के हैं नाविक सारे
नौका पार लगाए कौन ?
000

अशोकदीप✍️
जयपुर

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

ये खुदा बता तूने क्या सितम कर दिया मेरे दिल को तूने किसी के बस मैं कर दिया वो रहा तो नहीं एक पल भी आकर टुकडें- टुकड़ें कर दिये ना विश्वा read more >>
Join Us: