Sweta Kumari 11 Apr 2024 कहानियाँ समाजिक खुशी 8148 0 Hindi :: हिंदी
आज खूशी बहुत खुश थी।उसकी प्यारी सहेली लाडो के भाई हुआ था आज सुबह जब लाडो ने उसे बताया कि मम्मी ने अस्पताल से उसे एक छोटा भाई लाकर दिया है तब से खुशी की खुशी का ठिकाना नही था। उसने सोचा कि उसे कुछ करना चाहिए। ओर जैसा कि उसकी आदत थी उसने अपने गुल्लक से कुछ पैसे निकाले और टांफो खरीदने चली गई। खुशी और लाडो बहुत अच्छी सहेली थी जन्म से ही।दोनो आमने - सामने के घरो मे रहती थी । दोनो की उम्र अभी मात्र सात साल की थी लेकिन प्यार जैसे सात जन्मो का था। खुशी अधने पांच भाई-बहनो मे तीसरे नंबर पर थी। उसके पापा और लाडो के पापा दोनो दो आफिस मे एक ही पद पर काम करते थे। दोनो ही परिवार मध्यम स्तरीय था।दोनो बच्चो के लिए दोनो घर अपना था। और वे लोग दोनो घरो मे धमाल मचाया करतै थे। लाडो अपने घर को इकलौती बेटी थी। इस कारण घर मे उसे सभी बहुत प्यार करते थे।पापा मम्मी,चाचा ,दादा-दादी सभी। उसकी हर जरूरत का ख्याल रखा जाता था और हर मांग पूरी की जाती। मै उन दोनो की पड़ोसन थी।मै B.A.फाइनल मे थी। अक्सर उन दोनो के खेल मे मै अपना बचपन ढूंढा करती थी। उस दिन खुशी सभी को टांफी बांट रही थी। कुछ देर बाद दो टांफी लेकर वह मेरे पास आई। मैने पूछा क्या बात है खुशी तुम आज टांफी बांट रही हो। वह चहकते हुए बोली- लाडो की मम्मी उसके लिए भाई लेकर आई है। मैने कहा-ये तो बहुत अच्छी बात है। अब तुम दोनो छोटे भाई के साथ जी भरकर खेलना। वो बोली -हां । लेकिन उसकी आवाज मे खुशी नही थी।मै बोली -क्या बात है तुम खुश नही हो तो टांफी क्यो बांट रही हो। उसका जवाब सुनकर मै हैरान थी। वो बोली- दीदी मै तो इसलिए खुश हू कि अब लाडो को भी डांट पडेगी। अब दादी उसे नही छोटै भाई को प्यार करेंगी। चाचा उसे नही भाई को घूमाने ले जाऐंगे। जानती हो दीदी जब मै घर मे छोटी थी तब सब मुझे बहुत प्यार करते धे। भैया मुझे साइकिल पर घुमाने ले जाते थै। लेकिन अब सब छोटू को प्यार करते है। वैसे ही अब लाडो को नही सब उसके छोटे भाई को प्यार करेंगे।अब मै और लाडो एक समान हो गई। अब दोनो हमेशा साथ साथ खेलेंगें।