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रसोई

Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ राजनितिक #रसोई 44959 0 Hindi :: हिंदी

महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !
रसोई की थाली से स्वाद 
रफ़्ता - रफ़्ता गायब हुआ जा रहा है !
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !

पहले कोरोना का रोना 
अब महंगाई की मार
एक वक्त की रोटी भी है दुश्वार 
गरीब और मध्यम वर्ग 
असहाय हुआ जा रहा है ! 
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !

वो उज्ज्वला योजना 
गरीबों के लिए आपका सोचना 
गांवों को शहरों से जोड़ना 
वो उज्जवला योजना का सिलेंडर
खाली हुआ जा रहा है ! 
रसोई की वो शान 
शो-पीस हुआ जा रहा है ! 
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !

वो बारिश का मौसम 
वो गलियों का पानी 
वो चाय की चुस्की
वो पकौड़ो की कहानी 
सब अतीत हुआ जा रहा है ! 
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !

देशी घी न हुआ कभी मयस्सर 
सरसों तेल, रिफाइंड कभी डालडा
इन्हीं से पड़ा कुनबा पालना
सरसों तेल रिफाइंड और डालडा 
अब देशी घी हुआ जा रहा है ! 
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !

दाल रोटी सबको मालिक मिलती रहे
दाल रोटी सबकी चलती रहे
थाली से प्याज भी अब 
लुढ़का जा रहा है ! 
दाल रोटी का मुहावरा 
जुमला हुआ जा रहा है !
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है ! 

रोजगार पे कोरोना की मार 
हर इंसा है बेबस और लाचार 
ऊपर से यह महंगाई की सौग़ात 
महंगाई का यह डंक 
स्युंक्त परिवारों को खा रहा है ! 
पढ़ने वाला भी बच्चा पेट वास्ते 
मज़दूर हुआ जा रहा है ! 
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !

    विपिन बंसल

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