Shubham Kumar 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद घायल सांड 33199 0 Hindi :: हिंदी
उस दिन को हम कभी भी नहीं भुला सकते_ वह एक सांड था, जो दिखने में बहुत ही खतरनाक था_ लेकिन उसके दिल में प्रेम था_ हमारे भावनाओं को समझता था_ यह घटना कुछ इसी प्रकार है_ वैशाख का महीना था, उस दिन गर्मी ज्यादा पड़ रहे थे_ हवा भी जोरों से चल रही थी_ गर्म हवा धूल गर्दा, तब हम कुछ बच्चे मिलकर_ एक पेड़ पर आम का पेड़ था_ वहां पर लगभग_ 10 आम के पेड़ थे_ वह किसी बगीचा की तरह लगता था_ हम लोग बच्चे दोपहर में , वहीं पर खेला करते थे_ उनमें से मैं भी खेल रहा था_ वहां से लगभग, दूर-दूर तक, खेतों के अलावा, कुछ भी ना था, आसपास में कहीं पानी भी, नहीं था, उस तपती दोपहर में_ एक सांड चलता हुआ_ हम लोगों की तरफ ही आ रहा था_ वह कभी चलता था_ कभी थक जाता था_ जैसे उसे प्यास लगी हो, लेकिन वह किसी प्रकार से, हिम्मत जुटाकर, हम लोगों के पास, पहुंच चुका था,, वह देखने में, काफी भयानक लगता था, उसका शरीर भी बड़ा था, पहले तो हम लोग डर गए, और उसके पांव में_ किसी मुस्लिम ने _ उनके पैरों पर_ वार किए थे_ जिससे उसके पैर जख्मी हो गए थे_ वह दिखा जाता था_ यह घाव_ लगभग 1 महीने पहले की है_ वाह सांड, हमारे गांव के इलाके में_ खुलेआम रहता था_ क्योंकि कुछ लोग_ कुछ जानवरों जैसे बैलों को_ आजाद छोड़ देते हैं, दान में दे देते हैं_ वह बैल वहीं था_ जैसे ही हम लोगों के पास_ वह आता है_ वह मुझे ही देख रहा था_ भीगी भीगी नजरों से_ जैसे कुछ कहना चाहता है_ मैं कुछ डरा डरा सा_ हो गया था, लेकिन वह मुझे_ कुछ और करना चाह रहा था_ आखिर मैंने सोचा_ शायद इसे प्यास लगी है, मैंने अपने कुछ दोस्तों से_ बोला_ चलो इस से पानी पिलाते हैं_ हम लोग दौड़ते हुए__ अपने घरों से बाल्टी_ निकाला और और उससे पानी पिलाने लगे__ वह लगभग, 10 से 12 बाल्टी पानी पी चुका था, पानी पीने के बाद, वह हम लोगों को, जैसे बधाई दे रहा हो, , वह हमें थैंक्स कह रहा था, अब वह प्रतिदिन, दिन में कम से कम, एक बार वहां पर, पहुंचना अजीब समझता था, और मैं हमेशा उसे पानी देता था_ वह हमें कुछ नहीं करता था_ लोग कहते थे कि_ उसके पास जाना, खतरे से खाली नहीं, लेकिन उसके दिल में, एक मासूम सा दिल था, हमें नहीं पता वह लोग से, क्यों नफरत करता था_ मैं अपने दीदी घर, कुछ दिनों के लिए चला गया था, लेकिन वह वहीं पर आता था, और उसने उसी जगह पर, अपना दम तोड़ा, शायद मुझे देखना चाहता था, इस बात के लिए मैं, अपने आप को कभी भी,, माफ नहीं कर सकता , लेकिन उसकी मित्रता, सच्ची थी, मेरे इंतजार से बढ़कर, मेरे लिए वह और क्या कर सकता था , वह तो इंसान नहीं था ना, l हमारे गांव के बगल में_ जिसने उसके_ पैरों पर वार किया था_ वह मुस्लिम था पता नहीं कैसे? वह लोगों के दिल से, इंसानियत मिट गई है,
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...