वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन
जब टीवी घर आया, तो लोग किताबें पढ़ना भूल गए ।
जब कार दरवाजे पर आई, तो चलना भूल गए ।
हाथ में मोबाइल आते ही चिट् read more >>
मैदान ए शायरी का एक प्यादा हूँ मैं,
. इस महदूद सल्तनत का वजीर नहीं हूँ
ग़ज़ल के नाम पे बस हाल ए दिल बयां करूँ,
. मैं बद्र , गालिब , या मीर नहीं ह read more >>