अशोक दीप 30 Mar 2023 शायरी धार्मिक Janmashtmi, muktak, suno kanha, मोहन, krishan, 70078 0 Hindi :: हिंदी
सुनो कान्हा ! तुम्हारे बिन,कहाँ जग में ठिकाना है ? ठिकाना ढूँढना जग में, स्वयं को खुद मिटाना है । रहेगी जब तलक अबतो, हवा इस पाहुने घट में- तुम्हारे पुण्य चरणों में, विकल जीवन बिताना है । अशोक दीप जयपुर