Arun kumar sirswal 19 Aug 2023 शायरी समाजिक तख्तोताज#आज#गजरा#कल# 11607 0 Hindi :: हिंदी
क्यों इतराता है तख्तोताज पर ग्रहण तो हरीशचन्द्र के राज पर मुड़कर देख अपना गुजरा कल क्यों अकड़ रहा है आज पर
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