मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक #bat#man#maroof#gajal 38967 0 Hindi :: हिंदी
कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की न दिन हमारे मन का न रात हमारे मन की कुछ नही था ऐसा,सोच रखा था जैसा,ना मेघ हमारे मन के न बरसात हमारे मन की हर लड़की के मां बाप यही कहते हैं अक्सर न गौत्र हमारे मन का न जात हमारे मन की होता है वही जिंदगी मे जो मुकर्रर होता है न जीत हमारे मन की न मात हमारे मन की जगह,लोग,मौसम,सब मुखालिफ थे,ना था वकत हमारे मन का न घात हमारे मन की मारूफ आलम