कुमार किशन कीर्ति 05 Jun 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत चाहत,बेवफ़ाई 6778 0 Hindi :: हिंदी
उसकी चाहत में मुक्कमल जहां भुलाए बैठे है,सागर है पास में फिर भी प्यासे बैठे हैं। तेरी चाहत में हर जख्म का दर्द सह लेंगे, मकां है कच्ची,मगर बारिश का स्वागत कर लेंगे। अब क्यों ख़फ़ा बैठी हो,इसकी वजह तो बताओ।मकां बनने में लम्हे लगे हैं,उजाड़ने की वजह हो बताओ। मैं तो ठहरा आवारा शायर मुझसे कब तक बचोगी।लिखना मैं छोड़ दूंगा,क्या तुम निग़ाहों को पढ़ लोगी।