मारूफ आलम 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक # तूफान# समंदर# नदियाँ 55124 0 Hindi :: हिंदी
हजारों महानगर बसाये हैं हमने समुद्र की जमीनों पर कब्जा करके खेती के नाम पर पाट दिये खर्रे कब्जा लीं नदियाँ,रेत को सब्जा करके पानी तो पानी है कहीं तो रास्ता बनायेगा जब नदियाँ ना मिलेंगी बहने को तो आबादियों से गुजर जायेगा समंदर उगलेगा पानी शहर को डुबायेगा तूफान फिर लौटकर आयेगा तूफान फिर लौटकर आयेगा मारूफ आलम