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आबाद हो गए-यादों का आंसू पीकर हम बिखरे नही

Abhinav chaturvedi 07 Sep 2023 कविताएँ अन्य 6614 0 Hindi :: हिंदी

जो मिले नही किश्मत में हमको वो भी एक राज हो गए।
यादों का आंसू पीकर हम बिखरे नही आबाद हो गए।

टूटे शीशों की तरह जो देखते रहे दिन और रात।
उनसे पूछो क्या उन्हें मालूम नही मेरे हालाद।
अपनी हलादों पर काबू पाए, वो बीती हुई बात हो गए।
यादों का आंसू पीकर हम बिखरे नही आबाद हो गए।

समझौते की बात कुछ थी, संग हमारे कुछ और हो गया।
वो सब समझते हैं कहते थे, नासमझी में वो दौर खो गया।
वो दौर बहुत ही प्यारा था, वो लोग बहुत प्यारे थे।
बिन कहे आंखों से ही वे हालाद समझने वाले थे।
हरदिन के साथी थे मेरे, कैसे अंधेरी रात हो गए।
हां मगर,
 यादों का आंसू पीकर हम बिखरे नही आबाद हो गए।

जो देखा उनके संग हमने वो कितने प्यारे सपने थे।
हम उनके लिए गैर मगर हाँ, वो गैर हमारे अपने थे।
हम अनजान तो न थे एकदूसरे लिए,
वो जितने रिश्ते मीले हमे वो रिश्ते हमसे बने थे।
वो प्रीत के बंधन अच्छे थे, खामखां आजाद हो गए।
यादों का आंसू पीकर हम बिखरे नही आबाद हो गए।

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