Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

आओ इस बार गले मिलकर होली मनाये

जितेन्द्र जय 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #jitendra_jay #story #poem #holi #india #love #aao_is_baar_dil_se_milkar_holi_manaye 13608 0 Hindi :: हिंदी

आओ इसबार गले लगकर नही,
दिल से मिलकर होली मनाएं।

धर्म जाति और सम्प्रदाय के बन्धन से मुक्त हो,
आपस मे भाई चारे और मन मिठास युक्त हो।
ईर्ष्या-द्वेष की भावना मन मे कभी न आने पाए,
आओ इस होली में मिलकर हमसब सौगंध खाए।
बागों में तो सभी खिलाते हैं, चलो हम मरुथल में फूल खिलाए,
आओ इसबार गले लगकर नही, दिल से मिलकर होली मनाएं।

गाजे-बाजे ढोल-मृदंग की तरफ सब हाँथ बढ़ाएं,
गुझिया, पापड़ और मिठाई खाकर त्योहार मनाएं।
खुशियों के त्योहार में शराब को न हाँथ लगाएं,
इसी बहाने से हम सब नशामुक्त भारत बनाएं।
रंग गुलाल लगाकर के, चलो हम नफ़रत की दीवार मिटाएं,
आओ इसबार गले लगकर नही, दिल से मिलकर होली मनाएं।

फाल्गुन का महीना आया बसंत ऋतु ने ली अंगड़ाई,
सर्दी की हो गयी विदाई गर्मी की है आहट आई।
लाल गुलाबी नीले पीले बाजारों में रंग सजे है,
फगुआ का रंग चढ़ा ढोल मंजीरा झाँझ बजे है।
नये युग से दूर हटकर, चलो फिर से हम फाल्गुन के गीत गाये,
आओ इसबार गले लगकर नही, दिल से मिलकर होली मनाये।


                    - जितेन्द्र जय
                       रायबरेली (उत्तर प्रदेश)


Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: