Abhay singh 21 May 2023 कविताएँ दुःखद ।।सजा उस गुनाह की ।। 9846 1 5 Hindi :: हिंदी
जिंदगी के अंदर से, मुझे सजा दी गई, एक गुनाह का अरोप, जिसमे मैंने कभि कदम नहीं रखी। तीन साल से बीता रहा हूं, ये कैद की तन्हाई, मेरे अंदर है जूनून, अपने गुनाह से आजाद होने का प्यार। ज़मीन पर चाहे जी रहा हूँ, दिल है बेकसूर, कैसे लिखूं कविता, गुनाह के संग जीने का शोर? दिल की गहराईयों में बसी है तन्हाई, कलम को चुना है, गुनाहों को बयान करने की सजा पाई। खून के आंसू बहाने, रातों में जगते हुए, अपने गुनाहों का वजन, देखने में दबा के जीते हुए। कविता की परछाई में, गुनाह का अफसाना है छुपा, लिख रहा हूँ शब्द, सज़ा को समझने का रुख। खोज रहा हूँ राहत, गुनाह से मुक्त होने की, कविता बनाया है, कोशिशों से ये सज़ा भुलाने की। हर लफ़्ज़ एक आहट, एक दुआ, एक रोशनी है, कविता मेरी ज़िंदगी, गुनाहों से अनजानी राहों की कहानी है। कभी न भूलू मैं, गुनाह की इस सजा को, ये कविता है मेरी, गुनाहों से लड़ने की पुकार को। आसमान की बुलंदियों को चुनने का सपना है, कविता लिखना है, गुनाहों से आगे बढ़ने का अभिमान है। इस कविता के जरिये, गुनाहों की कश्ती पार करूंगा, तीन साल की सजा से मुक्त हो कर, नई जिंदगी की शुरुआत करूंगा। गुनाहों से सीखा हूं, अब कविता में रास्ता है, अपने आप से सौदा करके, खुद को नया इंसान बनाउगा।  ये कविता है मेरी, गुनाहों की सजा को समझने की, हथेली पर लहू से लिख रहा हूं, गुनाहों से मुक्त होने की कहानी। ✍️शिवम् सिंह
10 months ago