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अब तुझे रोने न दूँगा।

Anil Mishra Prahari 11 Sep 2024 कविताएँ अन्य kavita men kisi ke prati sahanubhuti hai. 20796 0 Hindi :: हिंदी

अब तुझे रोने न दूँगा।

छोड़ दे जग साथ तेरा
दुर्दिनों में हाथ तेरा,
दीन, निर्बल, बेसहारा
मैं तुझे होने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।

राह के चुन शूल सारे
दूँ चमन के फूल सारे,
आँख के मोती विवश
होकर कभी खोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।

कर न पाये दर्द आहत
तू रहे खुश एक चाहत,
जिन्दगी को बोझ – सा
होके विवश ढोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।

तू मुझे निज पीर दे-दे
अश्रु, दृग के नीर दे-दे,
इन विपद घनघोर के
निष्ठुर चरण धोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।

अनिल मिश्र प्रहरी।

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