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अपनों में आरजू लिए-सपनों में वादें किए थे

मनोज कुमार 30 Jun 2023 कविताएँ दुःखद #जुदाई #खफा #प्यार #बेवफाई 19171 0 Hindi :: हिंदी

अपनों में आरजू लिए 

अपनों में आरजू लिए
सपनों में वादें किए थे
जबां पे इक नाम लिए
कई दोपहरी लिखते रहें
इस क़दर तोड़ा वो दिल
पास नहीं दूर थीं मंज़िल
गुमराह हो चले हम ऐसे
इक सलाम न मिला कोई
तड़प ऐसे हैं इस दिल में
क्या करें हँस लेते हैं लोग
इस आवारगी में सच होके...


हाय अब आती भी नहीं है
उसकी कोई तस्वीर इस,
बहारों में, सनम के दायरों में
अब क्या बताऊँ वो कैसे थे
जो मेरे दिल के प्यारे थे
अब तो इस तरह नहीं वो
जो दिए मेरे दिल को ज़ख्म वो
सुना था कभी इक हसीन है
जो ख्वाब हैं,ख़ूबसूरत है जवान हैं,
ये बातें तो सहन से भी ज्यादें दूर है
जो कोई उसका भी मजबूर हैं


- मनोज कुमार 
  गोण्डा, उत्तर प्रदेश

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