Darshan kumar 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #मास्टर कविताएं 90130 0 Hindi :: हिंदी
1.बचपन के वो दिन बहुत याद आतें हैं तपती धूप में, नंगे पांव दौडना घास पर चल,सर पतों से ओढ़ना शरीर का झुलसना, पांव का तपना तपते घाव भर तो जातें हैं बचपन के दिन बहुत याद आतें हैं । 2.टायरों के साथ बेतहाशा दौड़ना मित्रों को तेजी से पीछे छोड़ना पेड़ों पर चढ़, लताओं से झूलना बिसरे दिनों की सारी सौगातें हैं बचपन के दिन बहुत याद आतें हैं । 3.बारिश के दिनों में,छत का टपकना छत पर चढ़,छेद मिट्टी से ढकना भीगे बदन बालों का झटकना ऐसे स्नान में,रूह-जिस्म नहाते हैं बचपन के दिन बहुत याद आतें हैं । 4.आस-पडोस में, समय का बिताना हृदय से पड़ोसियों का स्नेह जताना उनकी सुनना,अपनी सुनाना कहां वो रिश्ते, कहां वो नाते हैं? बचपन के दिन बहुत याद आतें हैं । 5.गिल्ली-डडें से छुप्पन -छुपाई खो-खो, कब्बड्डी की भागम-भगाई कांचे,स्टाप्पु की कुदम-खुदाई कूदते वो दिन बापिस नहीं आतें हैं बचपन के दिन बहुत याद आतें हैं । 6.गावं के एकमात्र टी वी का घेरना छत पर चढ़ एन्टेनें का का फेरना धुंधली तस्वीरें शौक़ से झेलना वो अश्वेत चित्र,अब रंग लातें हैं बचपन के दिन बहुत याद आतें हैं ।