Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #वीर रस की कविता#प्रेरणार्थक कविता#ambedkarnagarpoetry#rbpoetry#बढ़तेकदम कविता#बहादुरीपरकविता#रामबृक्षकृतिकविता#मुसाफिरसम्बंधीकविता#नयीकविता#नयीकविताहिन्दीमें#मुसाफिरतानलेयदितीर अपना कविता 48146 1 5 Hindi :: हिंदी
शीर्षक- बढ़ते कदम मुसाफिर! तान ले यदि तीर अपना मंजिल की ओर सोंचकर उम्मीदों पर खरे उतर रहे हम , दुनिया तुम्हारा नाम क्यों याद रखेगी ? बस छोड़ दे तीर यह समझकर , है केवल सोंच और कर्मों में दम | प्रकृति के हो खिलौने निराले , खेल-खेल में हो रोशन कर दे चमन ; टूट जाओगे समय से पहले समझते हो यही , समय के चक्र से अछूता है कौन ? समय पर जीना मरना ही है प्रकृति का नियम ||मुसाफिर ! चल पड़ जिधर मंजिल है तेरी , मत देख नीचे कंकड़ पड़ा , देंगे केवल ठोकरे ना रुकेंगे तेरे बढ़ते कदम | मंजिल गले लगा लेगी जिस दिन तुम्हें , मिटेगी हर क्लेष जलेगी प्यार की ज्योति मन में, लगेगा छू लिया आसमान आंखों से बरसेगी मोती , जीवन का रहस्य समझ पाया ना कोई , बस समर्पण कर दे खुद को, सफलता खुद चूमेगी तेरी बढ़ते कदम || Rambriksh, Ambedkar Nagar
1 year ago
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...