Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Ambedkarnagarpoetry#बंधन कविता#बंधन कविता रामबृक्ष#सबसे अच्छी कविता#अति सुंदर कविता#जीवन पर कविता#मानव जीवन पर कविता 49821 0 Hindi :: हिंदी
सहसा एक दिन नजर पड़ा छत के एक घोंसले पर लगा सोचने बड़े देर तक विधि की है कैसी माया प्यार कहूं कि स्वार्थ कहूं? देख मां बच्चे पर छाया चिड़िया चुग चुग कर जो देती स्नेह प्यार का एक-एक दाना चुप्पी साधी बड़ी देर तक तब समझ में यह आया कर्तव्य है मां-बाप का नन्हे-मुन्ने सींचे पौधे फर्ज के बंधन में बंध पौधा अंततः देता है छाया
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...