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भारत का परचम छा रहा

DIGVIJAY NATH DUBEY 25 May 2023 कविताएँ देश-प्रेम #दिग्दर्शन#कविता 7439 0 Hindi :: हिंदी

सर पे थी पगड़ी केसरी 
हाथों में खंजर तेज सा
दिल में सजा कर वीर रस
चलने लगा दल वीर का
अंग्रेज की औलाद सुन 
तेरा समय अब जा रहा 
हर दिल में हर दरबार में 
भारत का परचम छा रहा

दिग्दर्शन !

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