SACHIN KUMAR GUPTA 04 May 2023 कविताएँ अन्य पहरेदार , शस्त्र , चट्टान, सावन, तैनात ,खड़ा ,नाता, बेखौफ 6258 0 Hindi :: हिंदी
पहरेदार चार फिट की चार दीवार खड़ी है चारों ओर । बीच में एक पहरेदार खड़ा है तानकर शस्त्र अपना , दे रहा है आवाज । रूक जाओ तुम वहीं, यहां एक पहरेदार खड़ा है। घूर रहा है बाहर ,चारों ओर लग रहा खूंखार नजरों से होंठों से है खामोश , कानों से भी देख रहा है तन से अकड़ा हुआ कैसा ये चट्टान खड़ा है । फट रहा है बादल , गरज रही है बिजली , तप रहा है सूरज भीग रहा है सावन जम रही है चाँदनी , पूस माघ की शीतल ओस भीगो रही धरती का तन फिर क्यों यह ऐसे तैनात खड़ा है, तैनात खड़ा है ।। शायद मौत भी इससे दूर खड़ी है कैसा यह पहरेदार खड़ा है । ईद ,दीवाली , होली , दशहरा नहीं है कोई इनसे नाता शायद सब को कर दिल से दूर , कैसे यह तैनात खड़ा है अरमानों को दबा दिल में, मन से बेखौफ देखो कैसा यह पहरेदार खड़ा है हाँ , यह पहरेदार खड़ा है लेखक – सचिन कुमार गुप्ता पश्चिम बंगाल , दुर्गापुर मोब न0 - 8617532924 email – [email protected]