संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी कविता प्रेरणा से ओत_प्रोत तथा जीवन के सच्चाई को उजागर करते पाठकों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगी। 88506 0 Hindi :: हिंदी
चन्दन जहां भुजंग भी लिपटा रहता है, और जो माथे पर तिलक रूप में भी, सुसोभित होती रहती है। जो शीतलता का खजाना, और सादगी का प्रतिक भी है। सुधता और शुभता में तो, इससे बढ़कर दूजा नहीं। है चन्दन भी एक लकड़ी ही, लेकिन इसके गुण के सामने दूजा नहीं। गुणों से भरपूर_सबों में ऊपर, घर_घर का नूर_जगत में है मशहूर। चन्दन है आनन्दों और उमंगों, का भी संगम_देवत्व है इसका सुगंधम। चिंटू भैया
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....