Ranjeet kumar mishra 05 Apr 2023 कविताएँ धार्मिक #इतिहास#शिवाजी महाराज 16751 0 Hindi :: हिंदी
~~कविता~~ "छत्रपति" जय भवानी बोलता खिंचता तलवार को, धूल मिश्रित कर चले वह दुश्मनों के वार को। उम्र था लड़कपन का शस्त्र शास्त्र में निपुण, रुद्र का अवतार था भवानी का प्रहार था। उनमें असंख्य हाथियों का बल लेके लश्करों का दल, सिंह सा दहारता मुगलों को संघारता। जय भवानी बोल के जंग के मैदान में, मुगलों को उजाड़ता उसके पैरो को उखाड़ता, साम दाम दंड भेद और मंत्र भाव से, जीतता वह दुश्मनों को रणनीति के दाँव से। अभेद्य को वह भेदता मुगलों को खदेड़ता शिव को रक्त अभिषेक कर, मस्तक भवानी चरण में टेक कर, चल पड़ा संकल्प लेके हिन्दवी साम्राज्य का बोल पड़ा असंख्य हिन्दू जय भवानी जय शिवाजी जय हो शिवाजी महाराज का। अफजल खान का पेट फाड़ शिवाजी हो जैसे नरसिंह अवतार , गढ़ किला वह जीतता रण में भौहें भिंचता जब चले सिंह की चाल डोले धरती,अम्बर और पताल। दुश्मन को ललकारता रूप धरता काल का। बायें भुज में ढाल को दाहिने कृपाण को त्रिपुंड भी शोभता शिवाजी के भाल को। जब हर हर महादेव बोलता धरती अंबर डोलता, कालो का काल है मराठा का लाल है, बाज की नजर और चीते की चाल है। एक हिन्द है एक है हिन्दू एक छत्र हो एक राज जीजाबाई के गर्भ पला था हिन्द का पहला राष्ट्रवाद । हर हर महादेव, जय जय भवानी, जय शिवाजी जय महाराज जय शिवाजी जय महाराज जय मराठा जय महाराष्ट्र।। कवि:-रंजीत कुमार मिश्रा(विद्रोही विचारक) दिनांक:- 19/02/2023