Rambriksh Bahadurpuri 08 Nov 2024 कविताएँ समाजिक धर्म पर कविता, 4162 0 Hindi :: हिंदी
धर्म का निर्माण कैसा! लोकहित कल्याण कैसा! बन रहा है ठन रहा है हर कोई बेइमान जैसा! अंधा हुआ है हर कोई फैला हुआ जिहाद है वो दिन नहीं न बात वो वो कल नहीं न आज है कल्पना जिस देश की भारत किया था जो कभी बन्धुता सम्प्रभुता समता कहां है वह सभी बदला हुआ है सोंच सब है सोंच में बदला भरा धर्म के उत्पात भय से इंसान है अदना पड़ा नित नए दिन बेटियों संग बढ़ता हुआ व्यभिचार है यह है और कोई नहीं धर्मों के ठेकेदार हैं धर्म के ही आड़ में नेता बने धर्मात्मा छीनकर रोजगार रोटी सबका बने परमात्मा बन रहा दंगाई कोई नरभक्षी इंसान जैसा, धर्म का निर्माण कैसा! लोकहित कल्याण कैसा! बन रहा है ठन रहा है हर कोई बेइमान जैसा! रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...