Saurabh Shukla 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Google/http://kwsvs.blogspot.com/2022/04/blog-post_23.html 28963 0 Hindi :: हिंदी
आज उदासी से भरा बाग में बैठा था ,पता नहीं क्या मन में था ? ना किसी की याद थी ,ना कोई यादों में । ना कोई बात थी , ना मै किसी के वादों में ।। मन की उदासी अजीब थी ,जिसे मैं समझ न पा रहा था । शाम का वक्त था , धीरे धीरे अंधियारा भी पास आ रहा था ।। तभी अचानक नजर पड़ी एक चिड़िया पर !! सभी तो नीडो में जा रही थी। लेकिन वो अलग वही फुदकती उछलती नाच गा रही थी थोड़ा पास उसके मैं खिसका तो मेरे आश्चर्य की सीमा न रही !! वो अपाहिज थी उसका एक पैर ना था ,फिर भी वो अपनी मस्ती में डूबी झूम नाच गा रही थी । उसे देखकर मुझमें एक अलग सा आत्मविश्वास भर गया । ऐसा लग रहा था वो दृश्य मेरे मन में घर कर गया ।। मन की उदासी भी गायब हो गई थी जो अभी तक उदास था वो भी खुशी से झूम रहा था । उस अपाहिज की सीख से मन आनंद से बाहर गया था ।।