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एक स्त्री की अभिलाषा

Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #Hindi #Poetry #New #ekstrikiabhilasha #news #google #Status 16800 0 Hindi :: हिंदी

ले चल उड़ा मुझे भी अपने संग तू "अ बावरी" हवा 
ले चल उन लेहलाते खेतो में 
देखा किये जो मैने अकसर, अपने सपनो में...  
है खुला जहाँ आँसमा, खुली साँस जहाँ है आती  
मैने सुना है, तू भी तो वही है रहती।  
मार-मार हिलोरे खूब तू बहती  
आज़ाद हो जाऊँ मैं भी तेरी तरह
जहाँ चाहूँ वहाँ जाऊँ, खुद पर फिर मैं भी "इतराऊं" 
नादान बालक सी रो पडूँ कभी टकराकर 
तो कभी "सयानी" बन मंद-मंद मुस्काऊँ 
मर्जी आये तो कोहराम मचाऊँ 
वरना शीतल पवन बहाऊँ
उड़ती फिरू रातभर मैं, बेख़ौफ़ मतवाली सी 
यूँ ही इन गलियारों में  
मनुष्यो में मैं नारी सी, देख रात तब ना घबराऊ
देगा कौन नसीहत देखूँ फिर, "बैठो बंद मकानों में"
छू पायेगा कौन मुझे भला फिर, अपने मलिन हाथो से 
अदृश्य मै, अस्पर्शी मैं, बस कुछ ऐसा ही जीवन मैं चाहूँ | 

 - मनीषा

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