आरती सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद आंखों देखी कविता, वायरस 62964 0 Hindi :: हिंदी
एक वायरस ऐसा आया हाहाकार देश पर छाया था उसे विदेशियों ने बनाया जो भी आया सामने उस के सब पर उसने कहर है ढाया मास्क सुरक्षा करता सबकी सेनीटाइजर से है घबराया मसीहा बनकर डॉक्टर आए वायरस करता हाय हाय जो भी आता सामने उसके सब पर भारी पड़ता था जो ना पहने मास्क नाक पे सीधा अंदर घुसता था बंद पड़े थे मंदिर मस्जिद लाशों के तो ढेर लगे थे बच्चा बच्चा रोया था एक वायरस ऐसा आया हाहाकार मचाया भगवान बने हैं डॉक्टर सारे और सब ने जोर लगाया एक उपाय बस यही बचा है घर से दूर नहीं जाना अगर चले गए गलती से तुम उसने घात लगाया मोदी बनकर बापू आए सब को यह संदेश सुनाएं अगर सुरक्षित रहना है तो मास्क और सैनिटाइजर अपनाएं कड़ी तपस्या कर लो मिलकर इस देश को हमें बचाना है मास्क पहनो गे नाक के ऊपर और वैक्सीन लगवाना है दो गज की तुम दूरी बरतो यह सब को समझाना है हम सबका है एक ही नारा स्वच्छ भारत बनाना है सब मिलकर के प्रण कर लो तुम करोना को भगाना है जय हिंद जय भारत
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