Poonam Mishra 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद अपनी परेशानियों को किसी के सामने प्रदर्शित ना करना, गम 60246 0 Hindi :: हिंदी
गम को छुपा कर चेहरे पर हंसी लिए फिरते हो तुम पहले जैसे अब भी गम से बचकर निकल लेते हो कुछ भी नहीं है पास में सब है मेरे पास कहते फिरते हो तुम पहले जैसे अब भी गम से बचकर निकल लेते हो आंखों में अगर आंसू आए तो खुशी की बात किया करते हो तुम पहले जैसे अब भी गम से बचकर निकल लेते हो तन्हा होकर भी भीड़ में रहते हो कहते फिरते हो अकेले ही तन्हाइयों से लड़ते रहते हो तुम पहले जैसे अब भी गम से बचकर निकल लेते हो