Shreyansh kumar jain 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 50000 9207 0 Hindi :: हिंदी
रो रहा है दिल मेरा आंखो से अश्रु की जल धारा बह रही है, देखकर आज गौ-माता की यह हालत मुरली वाले तेरी याद आ रही है, द्रापद में जो तेरी मुरली की धुन पर थिरका करती थी, कलयुग में ऐसा क्या पाप हुआ गो-माता से जो आज अपने अस्तित्व के लिए लड रही है ।। वेदों में भी हम गो-माता को भगवान सा पूजा करते थे, 33 कोटि देवी-देवता भी जो गो माता में निवास करते थे, आज गो-माता के अस्तित्व पर यह कैसा प्रशन चिन्ह आ खडा हूआ है, मुरली वाले आज तेरी मुरली की धुन का गो-माता को इंतजार हो रहा है ।। आकर मुरली वाले इस धरा पर गो-माता का अस्तित्व बचा ले, विरान पडी इस गो-माता को अपनी मुरली की धुन पर फिर थिरका दे, द्रापद में जो चमत्कार दिखाया वह एक बार कलयुग में दिखला दे, मौत के द्वार खडी इस गो-माता को मुरली वाले अब तो आकर बचा दे ।। श्रैयांश जैन