संदीप कुमार सिंह 25 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होगा। 5002 0 Hindi :: हिंदी
#विधा :-मुक्तक छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" सारे बंधन तोड़कर,बनिये यहां चट्टान। हर साजिश को दें कुचल,चला दिव्य अभियान। जैसे को तैसा करें,लेकर अलख मशाल- भ्रष्ट बुद्धि को खत्म कर,बढा मनुज का शान।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....