AJAY KUMAR JOSHI 12 Feb 2025 कविताएँ धार्मिक आध्यात्मिक, आध्यत्म, जीवन, सुकून, आत्मविश्वास, आत्मचिंतन, मनन 2804 0 Hindi :: हिंदी
नूतन जीवन सी कलियाँ चैत्र मास खिल जाती हे झड कर सारी पात पतैया नव रूप ले आती हे|| सूरज की चम् चम् में फिर नया ओज सा छाया हे धूमिल तप्त सी बयार चले बादल भी छितराया हे || फसल कट कर बिक चुकी हे जैबो में हरियाली हे ढोल बतासे चंग बज रहे हर तरफ खुसियाली हे || देवालयों में धुन चली रही रामायण के दोहों की घर घर पूजा हो रही है माँ दुर्गा नव रूपों की।। शक्ति का दरबार सज रहा कही पुणर्य दान हे नवरातों का शंख नाद सा हिंदी नववर्ष महान हे || ---आने वाले--हिंदी नववर्ष पर आप सभी को अनंत शुभकामनाये Ajay always: सत्य की खोज में