Sameer abbasi 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #newquotes #bachpan #viral #life #youngwriter #google #sahitya #studentlife 78887 0 Hindi :: हिंदी
इस उम्र का मंजर कुछ ऐसा है, कि सब कुछ याद रखने वाला मैं अब बहुत कुछ भूलने लगा हूं, छोटी-मोटी परेशानियों से कई दफा झूझने लगा हूं। शांत रहने लगा हूं, पर बिना बोले बहुत कुछ कहने लगा हूं। अकेले में रहकर खुद से मिलने लगा हूं, हारने से भी बेहद डरने लगा हूं, लेकिन बिना तरस खाए खुद से दोबारा लड़ने लगा हूं। हारने के इसी सिलसिले को जीतने का कारण बनाने की चाह भी बेहिसाब रखने लगा हूं।