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जब फौजें लौट जाऐंगी

मारूफ आलम 21 May 2023 कविताएँ समाजिक #जब फौंजे लौट जाऐंगी 7432 0 Hindi :: हिंदी

टूटी हुई सड़के और टूटे हुए कांच
जलते हुए मकान
आग और ये आंच
फिर से जुड़ जायेंगे,फिर से बन जायेंगे
मगर कब
तब
जब फौंजे लौट जाऐंगी,जब फौंजे लौट जाऐंगी

लुटी हुई दुकानें, टूटे हुए ताले
रिपेयर कर दिये जायेंगे
खाली खाली से स्टोर दुबारा भर दिये जायेंगे
मगर कब
तब
जब फौंजे लौट जाऐंगी, जब फौजें लौट जाऐंगी

जंगलों का रूखापन,नदियों का सूखापन
दूर हो जाऐगा,हर तरफ फिर से नूर हो जाऐगा
मगर कब
तब 
जब फौंजे लौट जाऐंगी,जब फौंजे लौट जाऐंगी
मारूफ आलम

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