Prince 09 Sep 2024 कविताएँ समाजिक #SocialJustice - #RealityCheck - #Corruption - #RapeAwareness - #EndViolence - #PoliticalCorruption - #SpeakOut - #SocialChange - #IndianSociety - #TruthHurts - #AwarenessPoem - #HindiPoetry - #SocialIssues - #FightForJustice - #ModernProblems - #HumanRights - #PoetryForChange - #Injustice - #VoiceOfTheVoiceless #ShatterTheSilence #सामाजिकन्याय#सच्चाईकीखबर#भ्रष्टाचार#बलात्कारविरोध#हिंसारोकथो#राजनीतिकभ्रष्टाचार#आवाज़उठाओ#समाजिकपरिवर्तन#भारतीयसमाज#सचकीपीड़ा#जागरूकताकविता#हिंदीकविता#सामाजिकमुद्दे#न्यायकेलिएलड़ो#आधुनिकसमस्याएँ#मानवअधिकार#परिवर्तनकाविता#अन्याय#मूककीआवाज़#खामोशीकोतोड़ो 3529 0 Hindi :: हिंदी
**"ज़ख्म का शोर"** ये शहर के कोने, ये गलियों का अंधेरा, जहाँ इंसानियत रोज़ मरती है, बिखरता है बसेरा, बलात्कार की खबर, हत्या की दास्तान, राहों में खून, और दिलों में है तूफ़ान। भ्रष्टाचार है रगों में, बेच रहे हैं विश्वास, राजनीति का नक़ाब पहनो, सब बिकते हैं खास, आँखों में दिखते हैं सपने, मगर हकीकत है हार, कहाँ है न्याय, जब बिक रहा है संसार? बचपन की हंसी, अब चीख बन चुकी, खिलौनों के बदले, हाथ में बंदूक थम चुकी, डरता है हर माँ का दिल, कि बेटी घर कब लौटेगी, साँसों में है एक खौफ़, कब उन्हें फिर मौत मिलेगी? नेता है कुर्सी पर, जनता की चिंता नहीं, वोट लेकर दिखाते हैं सपने, पर हक़ की कोई बात नहीं, ज़ख्म है गरीब का, पर मरहम है अमीर के पास, क्या कोई करे फर्क, जब बिकते हैं हर एक के साँस? ये समाज का बदलाव है, या दर्द का नया रंग, जहाँ इंसान एक चीज़ है, और ज़िंदगी का रंग फीका, लड़ते हैं हम इस अंधेरे से, पर राह कहीं नहीं, कब होगा न्याय, कब होगा सच का प्रकाश यहीं? जज़्बात तो हैं अंदर, पर ज़ुबान है खामोश, क्या कभी बोलेगा ये संसार, या सिर्फ़ ज़ख्म का शोर? ~ Prince
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