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जिसमें हो सबका भला-ऐसा करिये खोज

संदीप कुमार सिंह 30 Nov 2023 कविताएँ समाजिक How to published articles?How published to Poems?How Published to stories?How to download Facebook?How to download Paytm?How work to the Google?What is Facebook?What is WhatsApp? 3905 0 Hindi :: हिंदी

#विधा :-दोहा  छंद 
#"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत"
जिसमें  हो  सबका  भला,ऐसा  करिये  खोज।
भारत  का  भी  नाम  हो,चंचल  रहिये  रोज ।।

जिसमें  हो  सबका  भला,और  बढ़े निज  शान।
जीवन  हो  गुलजार  तब,बढ़े  विश्व  में  आन।

जिसमें  हो  सबका  भला,खुद  को  रखें  सँभाल।
चाल  चलन से  ही बढ़े,दुनिया  का  निज  हाल।।

जिसमें  हो  सबका  भला, करें  नहीं  अभिमान।
नफरत  को  दें  अब  मिटा,फूल  बनो  इंसान।।

जिसमें  हो  सबका भला, अपनाओ विज्ञान।
होगी कस  के नव   प्रगति,होंगे  रब    हैरान।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप  कुमार  सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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