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New Fantasy (नूतन कल्पना)

संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता काफी रोमांच देगी आप सभी पाठक लोगों को। 12204 0 Hindi :: हिंदी

कल्पना करूं _कल्पना करूं,
नित ही नूतन कल्पना करूं।
मनुज जन्म क्यों कर मिला है?
स्वयं को पहचानने का प्रयास करूं।

कल्पना करूं _कल्पना करूं,
एक दिव्य ज़िंदगी की कल्पना करूं।
जो चाहूं वो हो जाए,
जो मांगू वो मिल जाए।

कल्पना करूं _कल्पना करूं,
स्वर्ग की अवधारणा को सच करूं।
बुद्धि में प्रभु इतना प्रखरता दें दें,
सही को सही_गलत को गलत कहूं।

कल्पना करूं _कल्पना करूं,
रोगप्रतिरोधक क्षमता और बढ़े।
स्वस्थ्य शरीर और स्वस्थ मन का,
शक्ती कभी भी न्यून ना हों।

कल्पना करूं _कल्पना करूं,
दुनिया से दुःख का खात्मा हों।
सु:खों का सर्वदा ही राज रहे,
समस्त प्राणी आनंदमय में रहें।

कल्पना करूं_कल्पना करूं,
वसुन्धरा हमारी लहलहाते रहें।
सर्व घर सदा ही सुरभित रहें,
अम्बर से दुआओं की बारिश हों।
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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