संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता काफी रोमांचक है पाठक गण अवश्य ही लाभान्वित होंगें। 7706 0 Hindi :: हिंदी
कल्पना की दुनिया को साकार करना है, अपने सपने को हर हाल में सच करना है। देखूं स्वपन रजनी की आगोश में, प्रातः उठते ठगा सा रह जाता हूं। परन्तु _परन्तु फिर स्वप्न कल्पना बन, एक नूतन चाहत को जन्म देती है। और _और चाहत पूरा करना, मेरे लिए एक जिद्द बन जाता है। फिर तो तन _मन लगा देता हूं, अपने कल्पना को जीवंत करने में। रात हो या दिन हो, चलती है बातें कल्पनाओं की। नए _नए विचार पनपते हैं, तर्क_वितर्क कर निश्चिंत होता हूं। सही अवसर और सही जगह, की तलाश जारी रखता हूं। शुभ अवसर मिलते ही, कल्पना को हकीकत करते हैं। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....